धर्म को अपनों से भी कहीं अधिक चाहा है हमने। धर्म को अपनों से भी कहीं अधिक चाहा है हमने।
मुख्तसर सी बात थी, तेरा वो मुस्कुराना। मुख्तसर सी बात थी, तेरा वो मुस्कुराना।
पर्वत कितने भी करीब हो जाए क्षितिज के, वो बस लौट आता है। पर्वत कितने भी करीब हो जाए क्षितिज के, वो बस लौट आता है।
बाल विवाह का शिकार जो बन जाए कुछ ऐसी है कहानी उसकी। बाल विवाह का शिकार जो बन जाए कुछ ऐसी है कहानी उसकी।
सबक ले अतीत से तू स्वप्न देख भविष्य का। सबक ले अतीत से तू स्वप्न देख भविष्य का।
संजो रखे हैं आज भी उसी मासूम से , मायूस से ,दिल में किसी उम्मीद से। संजो रखे हैं आज भी उसी मासूम से , मायूस से ,दिल में किसी उम्मीद से।